**भास्कर न्यूज | जालंधर में दोमोरिया पुल पर रोड लाइटों की खराबी ने बढ़ाया सुरक्षा खतरा**
जालंधर का दोमोरिया पुल इस समय अंधेरे में डूबा हुआ है, जहां रोड लाइटें पिछले दो हफ्तों से बंद पड़ी हैं। नगर निगम ने चुनाव से पहले इन लाइटों की मरम्मत कराने का दावा किया था, लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद इस मामले में उनकी उदासीनता स्पष्ट हो गई है। पुल पर तीन दिशाओं से यातायात चढ़ता-उतरता है, और लाइटों की यह खराबी सभी मार्गों पर अंधेरे का साया फैला रही है।
सिटी रेलवे स्टेशन के दिशा से इकहरी पुल की तरफ जाने वाले यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई हैं, खासकर जब रात का समय आता है। रेलवे स्टेशन से आए लोग चारों ओर के अंधेरे में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। वहीं, व्यवसायियों के लिए भी इस समस्या ने चिंता का सबब बना दिया है, क्योंकि धुंध भरे दिनों में चोरियों की घटनाएं बढ़ जाती हैं। संत सिनेमा मार्केट के प्रधान ललित मेहता ने इसे गंभीर समस्या मानते हुए मांग की है कि सिटी रेलवे स्टेशन से लेकर दोमोरिया पुल और इसके आसपास की सभी बंद लाइटें तुरंत चालू की जानी चाहिएं। उन्होंने कहा कि धुंध की स्थिति में रात को दृश्यता कम होने के कारण यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है।
पुल के नीचे एक रैन बसेरा भी बना हुआ है, लेकिन यहां की सेवा लेन की लाइटें भी खराब थीं, जो कि सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। इस सबके बीच, ललित मेहता ने यह भी बताया कि वे इस मामले को लेकर पंजाब सरकार को लिखित शिकायत भेजेंगे, ताकि समस्या का समाधान जल्दी हो सके। उन्होंने कहा कि नगर निगम को इस स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए और जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
जालंधर के इस महत्वपूर्ण मार्ग की लाइटों की स्थिति न केवल यात्रियों, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गई है। नगर निगम की ओर से ज़रूरत पड़ने पर सही समय पर उचित कदम उठाना न केवल उनके लिए, बल्कि शहर की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। लाइटों की बहाली केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि अंधेरे में छिपे हुए अपराधियों से सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है, ताकि दुकानदारों और आम नागरिकों की जान और माल की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस मुद्दे पर सभी स्थानीय योजनाओं और नीतियों को पुनः परखने की आवश्यकता है। प्रस्तावित निर्णय और सुधारात्मक उपाय ही जालंधर नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए ठोस सिद्धांत विकसित किए जा सकें।