सनातन संस्कृति के विराट रूप दर्शन से विश्व कल्याण की ओर महाकुम्भ

सनातन संस्कृति के विराट रूप दर्शन से विश्व कल्याण की ओर महाकुम्भ

-युगों-युगों तक मानवता का प्रकाशपुंज बनेगा महाकुम्भ, लहराएगी धर्म की विजय पताका-सम्पूर्ण विश्व को चरित्र, ज्ञान और भक्ति के अमृत से अभिसिंचित कर रहा महाकुम्भ-श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज सेवा शिविर में पुण्य लाभ और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुपम संगम

महाकुम्भ नगर, 4 फरवरी(हि.स.)। महाकुम्भ 2025 की आलौकिक कांति विश्व भर में अपना प्रकाश बिखेर रही है। संगम तट पर सतों का जुटान आस्था की वह लौ जला रहा है, जिसकी रोशनी में हर कोई डुबकी लगाना चाहता है। 144 वर्ष बाद बने इस अद्भुत ग्रहों के योग में सनातन के महापर्व पर करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं और करोड़ों डुबकी लगाने को लालायित हैं। यहां बात हो रही है महाकुम्भ में चल रहे श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज सेवा शिविर की।

महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठानों का महासंगम नहीं, बल्कि युगों-युगों तक मानवता के लिए प्रकाशपुंज बना रहने वाला एक दिव्य संकल्प है। जो सम्पूर्ण विश्व को चरित्र, ज्ञान और भक्ति के अमृत से अभिसिंचित करेगा। आइए जानते हैं 12 जनवरी से चल रहे श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज के शिविर में जो 12 फरवरी तक ज्ञान का प्रकाश कुम्भ की धरती पर बिखेरेगा-

1251 कुण्डीय विशाल यज्ञशाला में श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ

महाकुम्भ के पावन अवसर पर 1251 कुण्डीय विशाल यज्ञशाला में श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन आस्था और भक्ति का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करेगा। 6 फरवरी से 12 फरवरी तक यह यज्ञशाला यज्ञ की आहुति से वातावरण को पवित्र और दिव्य बनाएगी, जिससे न केवल श्रद्धालु, बल्कि समूचा समाज आस्थाओं में अनुरक्त होगा। 11 फरवरी को विराट धर्म-सम्मेलन का आयोजन शाम चार बजे से प्रारंभ होगा। यह सम्मेलन न केवल धार्मिक विमर्श का केंद्र होगा, बल्कि यह समस्त मानवता के कल्याण और धार्मिक उन्नति के मार्ग पर एक नवप्रेरणा का प्रकाश डालेगा।

उपनयन संस्कार और गंगा आरती

श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज सेवा शिविर में फरवरी के पहले सप्ताह में सात फरवरी को हजारों बालकों का जनेऊ संस्कार (उपनयन) किया जाएगा, जो उन्हें एक नई धार्मिक दिशा और संस्कार के साथ जीवन की यात्रा पर प्रेरित करेगा। यह कार्यक्रम विशेष रूप से भावनात्मक और मानसिक शुद्धता की ओर मार्गदर्शन करता है। इसके बाद नौ फरवरी को गंगा तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा। हजारों भक्त मिलकर मां गंगा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे और यह दृश्य महाकुंभ का अद्भुत चित्र प्रस्तुत करेगा। गंगा की पवित्र जलधारा के साथ मंत्रों का उच्चारण, आरती की आभा और भक्तों का सुमिरन एक दिव्य वातावरण तैयार करेगा।

महाप्रज्वलन और शंखनाद

महाकुम्भ के दौरान 10 फरवरी को 27 लाख दीपों का महाप्रज्वलन किया जाएगा। यह दीपोत्सव एक दिव्य शक्ति का प्रतीक होगा, जो आस्था और विश्वास की लौ को प्रज्वलित करेगा। 11 फरवरी को 12,500 भक्त शंखनाद करेंगे और वातावरण में पवित्र ध्वनियां गूंज उठेंगी। यह आयोजन विश्व शांति और कल्याण के लिए एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक पहल है। शंख की ध्वनि से संपूर्ण क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, जिससे वातावरण दिव्य और आध्यात्मिक बन जाएगा।

सांस्कृतिक सुरों से सजेगा महाकुम्भ

इस दिव्य अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करेंगे। इनमें विशेष रूप से श्रीरामानुजाचार्य जयंती महामहोत्सव और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी गायकों द्वारा भजन संध्या भी शामिल हैं। इन कार्यक्रमों में भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा, जो महाकुम्भ के वातावरण को और भी भव्य और दिव्य बनाएगा। 11 फरवरी को श्रीरामानुजाचार्य जयंती महामहोत्सव शाम चार बजे से और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी गायकों द्वारा भजन संध्या रात्रि सात से 10 बजे तक चलेगा।

संतों के दर्शन और महाकुम्भ स्नान का महात्म्य

महाकुंभ के इस ऐतिहासिक अवसर पर संतों के दर्शन और उनके सान्निध्य का महत्व अत्यधिक है। श्रीजीयर स्वामी महाराज ने बताया कि महाकुम्भ में संतों के मार्गदर्शन से न केवल श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक उन्नयन होगा, बल्कि उनके जीवन में शांति और सद्गति का संचार होगा।

सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण का सबसे बड़ा माध्यम बना महाकुम्भ

उन्होंने कहा कि महाकुम्भ का आयोजन सिर्फ धार्मिक परंपराओं का पालन नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण का सबसे बड़ा माध्यम है। यह आयोजन हमें यह संदेश देता है कि हम सभी को मिलकर अपने जीवन को धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से श्रेष्ठ बनाना है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को विश्व शांति की दिशा में योगदान देना चाहिए। महाकुम्भ की यह यात्रा एक नवचेतना का मार्गदर्शन करेगी। साथ ही हर भक्त के दिल में आस्था, प्रेम और शांति का दीप जलाएगी।

चरित्र निर्माण और लोककल्याण की अलौकिक परिकल्पना आलोकित कर रहे जीयर स्वामी

जब सृष्टि के कण-कण में धर्म की ज्योति प्रज्वलित होती है, तब मानव मात्र का उत्थान सुनिश्चित हो जाता है। सनातन परंपरा का मूल स्वरूप केवल आत्मकल्याण तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के कल्याण की आधारशिला भी है। इसी दिव्य ध्येय को साकार करने के लिए श्रीत्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने चरित्र निर्माण और लोककल्याण की अलौकिक परिकल्पना की, जिसे उनके परम शिष्य जीयर स्वामी जी महाराज अपने आध्यात्मिक तेज से आलोकित कर रहे हैं। विश्व बंधुत्व, आत्मविकास और धर्म आधारित समाज निर्माण का यह दिव्य अभियान अनंत काल तक यशस्वी रहे, यही सनातन संस्कृति का शाश्वत संदेश है। महाकुम्भ के पावन अवसर पर श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज सेवा शिविर इसी संदेश का प्रकटीकरण है, जहां आगामी 12 फरवरी तक धर्म, सेवा और संस्कार की त्रिवेणी प्रवाहित होगी।

आध्यात्मिक उन्नयन का केंद्र

जीयर स्वामी जी महाराज वर्तमान में वैश्विक स्तर पर रामानुजाचार्य जगद्गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं। वे समाज के प्रत्येक वर्ग तक धर्म, सेवा और सत्संग का संदेश पहुंचा रहे हैं। महाकुंभ में आयोजित सेवा शिविर में श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, सेवा और धर्म शिक्षा से जुड़े अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं। यह शिविर आध्यात्मिक उन्नयन का एक ऐसा केंद्र बनेगा, जहां व्यक्ति न केवल अपने चरित्र का निर्माण कर सकेगा, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी योगदान दे सकेगा।

महाकुम्भ में मिलेगा दिव्य मंगलानुशासन का लाभ

जीयर स्वामी जी महाराज का यह सेवा शिविर केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की दिव्य परंपरा को पुनर्जीवित करने का एक महायज्ञ है। यहां श्रद्धालु निःस्वार्थ सेवा, धर्मचर्चा, ध्यान, सत्संग और वैष्णव परंपरा के गूढ़ रहस्यों को समझने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे। राष्ट्र और समाज के निर्माण की दिशा में यह सेवा शिविर एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा, जहां धर्म, भक्ति और सेवा का त्रिवेणी संगम होगा। इस पावन अवसर पर प्रयागराज की धरा पर एक बार फिर धर्म की विजय पताका लहराएगी और सनातन संस्कृति का संदेश विश्वभर में गूंज उठेगा।