कितनी उचित है गंगाजल पर बयानबाजी
-रमेश सर्राफ धमोरा
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। विद्वानों का कहना है कि 144 वर्षों के बाद इस बार का महाकुंभ विशेष योग में संपन्न हो रहा है। ऐसे में यहां स्नान करने का सर्वाधिक महत्व है। मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला महाकुंभ अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान कर लिया है। समापन तक यह संख्या करीबन 65 करोड़ पहुंचने का अनुमान है।
इस बार महाकुंभ में जितने लोगों ने स्नान किया है वह दुनिया के एक-दो देशों को छोड़कर अधिकांश देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। भारत के ही नहीं अपितु विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में स्नान कर पूजा-अर्चना की है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सांसद, विधायक सहित देश के आम लोगों के मन में कुंभ स्नान के प्रति जो श्रद्धा देखी जा रही है, वैसी श्रद्धा इससे पहले शायद ही देखी गई होगी।
हालांकि मौनी अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ के संगम तट पर भगदड़ मचने से करीबन 37 लोगों की भीड़ में दबकर मौत हो गई थी। इसी तरह कुंभ आने के लिए नई दिल्ली स्टेशन पर एकत्रित भीड़ में भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। दोनों घटनाएं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण थी जिसमें प्रशासनिक लापरवाही का बहुत बड़ा हाथ माना जा रहा है। हालांकि दोनों ही घटनाओं की उच्चस्तरीय जांच हो रही है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही असली दोषियों का पता चल सकेगा।
शांतिपूर्वक संपन्न हो रहे कुंभ में ऐसी दो दुर्घटनाएं होने के बाद भी कुंभ स्नान करने वालों की संख्या में कमी नहीं हुई बल्कि दिन प्रतिदिन यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में हर दिन सवा करोड़ से अधिक लोग महाकुंभ में गंगा स्नान कर रहे हैं। आने वाली महाशिवरात्रि पर यह संख्या कई गुना अधिक होने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है, जिसको लेकर बड़े स्तर पर प्रशासनिक तैयारियां की जा रही है। ताकि महाकुंभ में किसी तरह की दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं प्रयागराज आकर महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान की तैयारी का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को पूरी चौकसी बरतने के निर्देश दिए हैं।
जहां एक तरफ महाकुंभ में करोड़ों लोग स्नान कर रहे हैं इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने के योग्य नहीं है। सीपीसीबी ने इस रिपोर्ट को तीन फरवरी को तैयार किया था। रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सीपीसीबी ने नौ से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज में अलग-अलग जगह पर गंगा-यमुना के 73 सैंपल जमा किए। इन सैंपलों की छह मानकों पानी का पीएच वैल्यू, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्वड ऑक्सीजन पर जांच की गयी। जितने भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। बाकी के पांच मानकों पर पानी की गुणवत्ता मानक के मुताबिक मिली। सीपीसीबी की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के मुताबिक 29 जनवरी को संगम पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2300 पाई गई थी। 29 जनवरी को ही मौनी अमावस्या का पर्व था। इसे महाकुंभ में सबसे बड़ा अमृत स्नान माना गया है। उस दिन गंगा-यमुना में कई करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई थी।
महाकुंभ में गंगा के जल की शुद्धता को लेकर लगातार सवालों के बीच देश के जाने-माने वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय सोनकर ने गंगा के जल को सिर्फ स्नान योग्य ही नहीं बल्कि अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध बताया है। संगम, अरैल समेत पांच घाटों के गंगाजल की लैब में जांच के बाद उन्होंने यह दावा किया है। उनका कहना है कि महाकुंभ में 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु के गंगा में स्नान के बाद भी इसकी शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है। मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक विमर्श करने वाले डॉ. अजय कुमार सोनकर ने कहा कि उन्होंने अपनी नैनी स्थित प्रयोगशाला में गंगा के जल की जांच की। गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को प्रयोगाशाला में जांच की चुनौती भी दी। कहा है कि जिसे जरा भी संदेह हो वह मेरे सामने गंगा जल ले और हमारी प्रयोगशाला में जांच कर संतुष्ट हो जाए।
शीर्ष भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सोनकर ने कहा है कि गंगाजल सबसे शुद्ध है। यहां नहाने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है। बैक्टीरियोफेज (बैक्टीरिया खाने वाला) के कारण गंगा जल की शुद्धता बरकरार है। प्रयोगशाला में जल के नमूनों को 14 घंटों तक इंक्यूबेशन तापमान पर रखने के बाद भी उनमें किसी भी प्रकार की हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई। डॉ. अजय सोनकर ने कहा कि गंगा का जल न केवल स्नान के लिए सुरक्षित है। बल्कि इसके संपर्क में आने से त्वचा संबंधी रोग भी नहीं होते हैं।
डॉ. अजय कुमार सोनकर ने बताया कि पांच घाटों से गंगा जल के नमूने लिए और लैब में सूक्ष्म परीक्षण किया। इस दौरान पाया गया कि करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद जल में न तो बैक्टीरियल ग्रोथ हुई न ही जल के पीएच स्तर में कोई गिरावट आई। इस शोध में पाया कि गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं। जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। इस वजह से जल दूषित नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि गंगा जल की अम्लीयता (पीएच) सामान्य से बेहतर है और उसमें किसी भी प्रकार की दुर्गंध या जीवाणु वृद्धि नहीं पाई गई। गंगाजल के सैंपल का पीएच स्तर भी 8.4 से लेकर 8.6 तक पाया गया। जो काफी बेहतर माना गया है।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 3 फरवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक रिपोर्ट देकर बताया कि प्रयागराज संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके बाद यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 18 फरवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक नई रिपोर्ट देकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट को झुठला दिया है। इस रिपोर्ट में बताया है कि नाले का पानी प्रयागराज की गंगा-यमुना नदी में सीधे तौर पर नहीं गिर रहा। कुल छह प्वाइंट पर पानी नहाने लायक है। सिर्फ शास्त्री ब्रिज के नीचे पानी की गुणवत्ता थोड़ी बहुत सही नहीं है और इसके जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जा रही है।
हालांकि एनजीटी ने इस नई रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। कहा कि अगर सेंट्रल की रिपोर्ट गलत है तो यूपी वाले एक्शन लें। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से गंगा-यमुना के पानी की गुणवत्ता पर एक हफ्ते में नई विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। दरअसल ये पूरा मामला उन 60 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है, जो महाकुंभ में संगम स्नान करने प्रयागराज आए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के श्रद्धालुओं पर संभावित असर को देखते हुए ही यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नई रिपोर्ट बनाकर इसका जवाब दिया है।
गंगााजल की शुद्धता को लेकर राज्य और केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड में जो खींचतान मची हुयी है उसका असर कुम्भ स्नान के लिये आने वाले लोगों पर नहीं देखा जा रहा है। आनेवालों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। लोगों की आस्था में कहीं कोई कमी नही देखी जा रही है। प्रयागराज के महाकुम्भ में करोड़ो लोगों ने स्नान किया है मगर किसी कोई दिक्कत होने की खबर नहीं मिली है। ऐसे में गंगाजल की शुद्धता को लेकर विवाद करने से अच्छा है जनभावनाओं का सम्मान करें।
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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