भारत को खेल महाशक्ति बनाने के लिए केंद्र और राज्यों का समन्वित प्रयास जरूरी : मनसुख मांडविया

भारत को खेल महाशक्ति बनाने के लिए केंद्र और राज्यों का समन्वित प्रयास जरूरी : मनसुख मांडविया

तेलंगाना, 07 मार्च (हि.स.)। भारत की 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक तैयारियों और 2036 ओलंपिक की मेजबानी को मजबूत करने के उद्देश्य से दो दिवसीय चिंतन शिविर लगाया गया। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में लगे इस शिविर में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खेल मंत्रियों, वरिष्ठ खेल प्रशासकों, सरकारी अधिकारियों और खेल विशेषज्ञों ने भाग लिया।

डॉ. मांडविया ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी करे और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी राज्यों को मिलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा, “चिंतन शिविर प्रधानमंत्री मोदी की सुशासन की सोच से प्रेरित है, जहां हम मिलकर खेलों के विकास की दिशा में एक ठोस रणनीति तैयार कर सकते हैं।” डॉ. मांडविया ने कहा, “भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए खेलों का सुव्यवस्थित और समन्वित विकास आवश्यक है। खेल राज्य का विषय है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत प्रयास हमें खेल महाशक्ति बनने में मदद कर सकते हैं।”

खेल प्रतिभाओं की पहचान और बुनियादी ढांचे पर जोर

चिंतन शिविर में मुख्य रूप से प्रतिभा पहचान, कोचिंग प्रणाली, खेल बुनियादी ढांचे के विकास और खेलों की सतत प्रगति जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, हरियाणा, बिहार, केरल, उत्तराखंड, गुजरात और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और खेल विकास को गति देने के लिए एक-दूसरे से सीखने की जरूरत पर बल दिया गया।

खेलो इंडिया की सफलता और भविष्य की योजनाएं

बैठक में खेलो इंडिया कार्यक्रम के प्रभाव पर भी विस्तार से चर्चा हुई। डॉ. मांडविया ने बताया कि अब तक 2,800 से अधिक खेलो इंडिया अकादमियां स्थापित की जा चुकी हैं, जबकि 1,045 खेलो इंडिया केंद्रों में से 937 पूरी तरह कार्यरत हैं।

उन्होंने कहा, “हमें अपनी खेल प्रतिभाओं को खोने नहीं देना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खिलाड़ियों की पहचान और प्रबंधन, तथा राष्ट्रीय खेल संघों की सक्रिय भागीदारी से ओलंपिक मिशन को मजबूत किया जा सकता है।” डॉ. मांडविया ने यह भी घोषणा की कि खेलो इंडिया के तहत नए खेलों को बढ़ावा देने के लिए ‘बीच गेम्स’, ‘वॉटर स्पोर्ट्स’ और ‘स्वदेशी खेलों’ को शामिल किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर अधिक भागीदारी सुनिश्चित होगी।

खेल प्रशासन में पारदर्शिता और अवसंरचना विकास पर फोकस

शिविर में राष्ट्रीय खेल संघों में पारदर्शिता बढ़ाने और चयन प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने पर भी जोर दिया गया। इसके साथ ही, माता-पिता का विश्वास जीतने के लिए बेहतर संरचनाएं विकसित करने और खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की रणनीति पर चर्चा हुई।

खेल अवसंरचना के विकास को लेकर राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों, मंत्रालयों और निजी क्षेत्र के सहयोग से खेल परिसरों का प्रभावी उपयोग करने पर जोर दिया गया।

इसके तहत जिला स्तरीय खेल विद्यालय स्थापित करने और मौजूदा स्कूलों को अपग्रेड करने पर भी चर्चा हुई, ताकि जमीनी स्तर पर खेल प्रतिभाओं की खोज और प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।

ध्यान सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम

बैठक के दौरान प्रतिभागियों के लिए पद्मभूषण दाजी के नेतृत्व में ध्यान सत्र आयोजित किया गया, जिससे मानसिक एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की कला पर जोर दिया गया।

इसके अलावा, शाम को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाला एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पारंपरिक संगीत, नृत्य और कलात्मक प्रस्तुतियों ने देश की विविधता और खेल भावना को जीवंत कर दिया।

इस चिंतन शिविर से निकले विचारों और रणनीतियों के आधार पर भारत की ओलंपिक तैयारियों को एक नई दिशा दी जाएगी, जिससे 2036 ओलंपिक की मेजबानी के सपने को साकार किया जा सके।

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