अगर आप किसी संकट में हैं और आपको मदद की आवश्यकता है, तो राजकीय पुलिस थानों के लैंडलाइन नंबरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन पर ज्यादा तर नंबर बंद पड़े हैं। यह खतरनाक स्थिति दैनिक भास्कर की खोजबीन में उजागर हुई है। रिपोर्टर ने स्थानीय पुलिस थानों के लैंडलाइन नंबरों पर संपर्क किया, और पाया कि जयपुर जैसे बड़े शहर में 38 से ज्यादा पुलिस थाने हैं जिनका लैंडलाइन नंबर ध्वस्त हो चुका है। यह समस्या केवल जयपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि अलवर, अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, उदयपुर और चूरू जैसे जिलों में भी मौजूद है। ऐसी स्थिति में, अगर किसी आपात जरूरत का सामना करना पड़े, तो जनता के पास 100 या 112 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
विशेष रूप से, बड़े शहरों में, अनेक महत्वपूर्ण पुलिस थानों के लैंडलाइन नंबर या तो काम नहीं कर रहे थे या फिर ‘नॉट रीचेबल’ की सूचना दे रहे थे। जैसे कि अजमेर के आदर्श नगर थाने का लैंडलाइन नंबर बंद था। इसी तरह, अलवर के महिला थाने और भरतपुर के मथुरा गेट थाने के फोन भी नहीं मिले। बीकानेर और चूरू में महिला थानों के नंबर भी ‘नॉट एग्जिस्ट’ घोषित किए गए। जयपुर में, 38 से अधिक थानों में भी फोन की घंटी नहीं बजी। कई थानों के लैंडलाइन नंबर तो पुलिस विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ही नहीं थे, और कुछ नंबर लगातार ‘बिजी’ बताने लगे, जिससे संपर्क करना असंभव हो गया।
शाहपुरा थाने के एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि उनके थाने का लैंडलाइन डेढ़ साल से बंद है, जिससे स्थानीय लोगों की मदद में काफी रुकावट आ रही है। जयपुर के बगरू थाने का लैंडलाइन नंबर भी पिछले 5 महीनों से बंद पड़ा है। जब अधिकारियों से इसका कारण पूछा गया, तो अधिकतर ने किसी भी स्थिति में विस्तार से बताने से मना कर दिया। महिला थाने के लैंडलाइन नंबर भी उसी तरह बंद पड़े थे। अलवर महिला थाने का कनेक्शन चार महीने से कटा हुआ था और थाना इंचार्ज ने बताया कि यह बिल पास न होने के कारण है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, लैंडलाइन नंबरों की समस्या के कई कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण बिल का समय पर भुगतान नहीं होना है। जब पुलिस थानों को मिलने वाले बिल का भुगतान समय पर नहीं होता है, तो उस पर जुर्माना लगना शुरू हो जाता है। बजट में केवल मूल बिल की राशि दी जाती है, लेकिन पेनल्टी के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान नहीं होता, जिससे थाने इसे चुकाने में असमर्थ रहते हैं। इसके अलावा, कई जगह तकनीकी खामियों के कारण भी नंबर बंद पड़े हैं, लेकिन बीएसएनएल को बार-बार शिकायतें देने के बावजूद, स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
बाजार की नजर में बीएसएनएल का भी जवाब आया है। जब दैनिक भास्कर ने उनके अधिकारियों से संपर्क किया, तो डीजीएम आर. मीणा ने कहा कि उनके पास किसी भी प्रकार की पेंडिंग शिकायत नहीं है और यदि कोई शिकायत आती है, तो उसे शीघ्रता से निपटा दिया जाएगा। यह स्थिति यह स्पष्ट करती है कि पुलिस सेवा में गिरावट और सेवा की अनियमितताओं के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित होना आवश्यक है ताकि सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित हो सके।