गोरखपुर के चौरी चौरा थानाक्षेत्र में हुई मां और बेटी की हत्या, बर्बरता और क्रूरता का एक दर्दनाक उदाहरण पेश करती है। माता-पिता और बच्चों के रिश्ते पर आधारित इस घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मां पूनम और उसकी बेटी अनुष्का पर आरोपियों ने गड़ासी से एक के बाद एक कई वार किए, जिससे उनकी हड्डियां चकनाचूर हो गईं। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मृतक मां और बेटी के सिर पर गंभीर चोटें आई थीं और पूनम की कलाई भी काट दी गई थी। यह हत्याकांड वास्तव में न केवल क्रूरता का प्रतीक है, बल्कि यह समाज के एक अहम सवाल को भी जन्म देता है – क्या सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है?
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मां की हत्या पहले की गई और इसके बाद बेटी पर वार किया गया। घटना स्थल पर रक्तरंजित बिस्तर और फर्श ने इस अपराध की भयावहता को बयां किया। घर में पूनम की बड़ी बेटी खुशबू ने उस रात के घटनाक्रम का चश्मदीद गवाह बताया, जिसने पुलिस को जानकारी दी है। इसके बाद पुलिस ने कोटेदार सूरज प्रसाद, उसके बेटे संजय, सुरेंद्र और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। संजय को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
इस हत्या के बाद ग्राम समाज में दहशत का माहौल बन गया है। पूनम का बड़ा बेटा विशाल बंगलूरू में काम करता है और वह तुरंत घटना के बाद गोरखपुर पहुंचा। उसने अपनी मां और बहन के शवों को एक ही चिता पर अग्नि दी, जिससे घाट पर मौजूद लोगों की आंखों में आंसू आ गए। इस संवेदनशील दृश्य ने वहां मौजूद हर शख्स को हृदयविदारक कर दिया।
इस निर्मम घटना पर राजनैतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर अपनी चिंता व्यक्त की है और सवाल उठाया है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था कितनी खराब हो चुकी है, जहां ऐसे जघन्य अपराध हो रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि प्रदेश के गोरखपुर में हत्या की यह घटना भाजपा सरकार की नाकामी को दर्शाती है।
पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए हैं। पूनम ने पूर्व में कोटेदार के बेटे संजय पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया था, लेकिन वह शिकायत अब दब गई थी। मृतक की बेटी खुशबू का कहना है कि उनकी मां को पहले से ही आरोपियों से धमकियाँ मिल रही थीं। स्थानीय विधायक ने इस मामले में एक पुलिसकर्मी की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है और कार्रवाई की बात कही है।
पूनम और उसके परिवार का गुजारा खेती और बकरी पालन से होता था। अब परिवार में केवल खुशबू, उसका भाई विशाल और दादा रामजी रह गए हैं। यह घटना लोगों में भय का माहौल पैदा कर रही है, और सांसद रामभुआल निषाद को भी इस पर विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने घटना के संदर्भ में लोगों द्वारा लगाये गए आरोपों को गलत बताया है और स्पष्ट किया है कि वह पूरी स्थिति का सही ढंग से सामना करेंगे। 2027 में अपनी चुनावी तैयारी में लगे सांसद का यह मामला उनके लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकता है।