सीएम भगवंत मान पर जासूसी के आरोप, बीजेपी नेता सुनील जाखड़ ने न्यायिक जांच की मांग उठाई!

पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने हाल ही में मुख्यमंत्री भगवंत मान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने राज्य की खुफिया एजेंसी का दुरुपयोग करके राजनीतिक जासूसी की है। जाखड़ ने इस संदर्भ में राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि इस मामले की न्यायिक या स्वतंत्र जांच कराई जाए। जाखड़ ने अपने पत्र में उस बयान का जिक्र किया, जिसे मुख्यमंत्री मान ने पिछले महीने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान दिया था। इस दौरान मान ने कहा था कि “मेरे पास इंटेलिजेंस की खबरें आती हैं,” जो आशंका उत्पन्न करती हैं कि खुफिया एजेंसी का उपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और विपक्षी पार्टियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है।

जाखड़ ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान एक सामान्य टिप्पणी नहीं है, बल्कि इसमें साफ तौर पर यह संकेत है कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की आत्मा पर हमला करार देते हुए कहा कि यह संवैधानिक व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन है। जाखड़ ने यह तुलना पेगासस जासूसी कांड से करते हुए बताया कि जब राज्य की खुफिया एजेंसी का दुरुपयोग किया जाता है, तो यह सिर्फ लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश के संघीय ढांचे को कमजोर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि खुफिया एजेंसी किसी एक पार्टी की निजी संपत्ति नहीं है, और इस तरह के रवैये को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

इसके अलावा, जाखड़ ने जालंधर में बीजेपी नेता मनोरंजन कालिया के आवास पर हुए ग्रेनेड हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि यह राज्य की खुफिया प्रणाली की गंभीर विफलता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। उनका अनुमान है कि अगर खुफिया एजेंसी अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी, यानी जनसुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती, तो शायद इस तरह के गंभीर अपराधों को रोका जा सकता था। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि पिछले सात महीनों में पंजाब में 16 से अधिक ग्रेनेड और विस्फोटक हमले हो चुके हैं, जिनमें से 11 मुख्यतः पुलिस और सुरक्षा बलों को लक्षित कर किए गए हैं। जाखड़ ने इन घटनाओं को राज्य की कानून व्यवस्था को अस्थिर करने के लिए एक सुनियोजित साजिश बताया।

जाखड़ ने राज्यपाल से चार मुख्य मांगें की हैं, जिनमें कहा गया है कि पंजाब एक संवेदनशील सीमा राज्य है, और इसलिए आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग न केवल लोकतंत्र पर हमला है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में एडीजीपी इंटेलिजेंस के पद से आईपीएस अधिकारी आरके जैसवाल का तबादला संदिग्ध है, और इसकी जांच की जानी चाहिए। उनकी मांगों में सूचना तंत्र की सच्चाई जानने और इसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने पर जोर दिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।