हमीरपुर में नये पुल निर्माण होने पर बीहड़ी इलाके में खुलेंगे विकास के द्वार

– सदर विधानसभा क्षेत्र में राठ हाईवे से परसनी कंडौर को जोड़ने वाले पुल का निर्माण करेंगे ठेकेदार

– शासन ने निर्माण में देरी और रेट रिवाइज से आने वाले खर्च को रोकने के लिए लिया फैसला

हमीरपुर, 21 दिसम्बर (हि.स.)। जिले में परसनी व कंडौर को जोड़ने वाले बेतवा नदी पर बनने वाले पुल का निर्माण अब सेतु निगम की जगह ठेकेदार को दे दिया है। वहीं सेतु निगम सिर्फ ठेकेदार के काम का मानीटरिंग करेगी।

शासन की ओर से परसनी कंडौर में बनने वाले पुल को लेकर 2313.06 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। पुल निर्माण होने पर इस बीहड़ी इलाके में विकास के द्वार खुलेंगे। बेतवा नदी के बीहड़ों में होने वाली बदमाशों की चहल कदमी भी खत्म हो जाएगी। इससे हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में राठ हाईवे से परसनी, कंडौर होते हुए कुरारा फोरलेन को जोड़ने के लिए बेतवा नदी में सेतु का निर्माण कराया जाएगा।

ब्लाक सुमेरपुर के परसनी गांव निवासी राज्यसभा सदस्य बाबूराम निषाद को नदी में पुल स्वीकृत कराने का श्रेय है। बेतवा नदी से संचालित हो रहे मौरंग खदानों के ठेकेदारों को परिवहन में लाभ मिलेगा। वहीं कुरारा की ओर से मिर्जापुर झांसी हाईवे से होते हुए परसनी की साइड में जाने के लिए लोगों को करीब 32 किमी अतिरिक्त यात्रा तय करनी पड़ती है।

पुल निर्माण से दूरी कम होने पर खर्च व समय की बचत होगी। पिछले एक सितंबर को स्वीकृत पुल में 14 कोठियां बनेंगी। पुल निर्माण की मिट्टी की जांच व सर्वे सेतु निगम कर चुका है। इधर शासन ने पुल निर्माण की पालिसी बदल दी है। इसमें पुल बनाने का काम जहां ठेकेदार को दे दिया है वहीं एप्रोच मार्ग लोनिवि बनाएगा। इसके पीछे शासन का मानना है कि इस फैसले से रेट रिवाइज की प्रथा समाप्त हो जाएगी। हालांकि सेतु निगम के कार्यों में भी ठेकेदारों की भूमिका होती रही है। जबकि निगम निर्माण सामग्री में सीमेंट सरिया आदि उपलब्ध कराता था, ताकि ठेकेदार सामग्री गलाने में कोई कंजूसी न कर पाए और गुणवत्ता पूर्ण निर्माण हो। मगर रेट रिवाइज की बीमारी के चलते शासन को यह फैसला करना पड़ा है। फिलहाल पुल जैसे निर्माण में पूरी तरह ठेकेदार को लाना लोगों के गले में नहीं उतर रहा है।

कई साल गुजरने के बाद भी नहीं बन सके बेतवा यमुना बाईपास के पुल

जिला मुख्यालय में ही देखा जाए तो बेतवा यमुना नदियों पर पुल व फोरलेन बाईपास का निर्माण 302 करोड़ की लागत से सेतु निगम ही करा रहा है। पिछले सात-आठ सालों से पुल व एप्रोच मार्ग बन रहे हैं। इन सालों के बीच कई बार रेट रिवाइज हुए हैं। सेतु निगम में रेट रिवाइज की जो बीमारी लगी थी इस पर शासन को यह फैसला करना पड़ा है। पुल जैसे निर्माण में पूरी तरह ठेकेदार को लाना लोगों के गले में नहीं उतर रहा है। सेतु निगम के सहायक अभियंता पंकज त्रिपाठी का कहना है कि शासन की पालिसी के अनुसार सेतु निगम कार्य करेगा और पुल निर्माण में निगरानी कर पूरी जिम्मेदारी से काम करेगा।