मोदी सरकार में डिजिटल इंडिया की इस उपलब्धि को सराहा जाना जरूरी है

भारत के डिजिटल सफर में एक नया मील का पत्थर जुड़ चुका है। जब कई राज्य सरकारें अब भी अपनी योजनाओं और सेवाओं को एक मंच पर लाने के लिए संघर्ष करती दिखती हैं, तब केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है, जिसने नागरिक सेवाओं को पूरी तरह डिजिटल, सरल और सुलभ बना दिया है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी) ने डिजिलॉकर और ई-डिस्ट्रिक्ट प्लेटफॉर्म को जोड़ते हुए 1900 से अधिक सरकारी सेवाओं का अखिल भारतीय स्तर पर एकीकरण कर दिया, जो निश्‍चित ही किसी चमत्‍कार से कम नहीं है। यह कदम न केवल समय और ऊर्जा की बचत करेगा बल्कि भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाएगा। जब नागरिक सीधे ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंच सकते हैं तो बिचौलियों की भूमिका स्वतः समाप्त हो जाएगी।

वस्‍तुत: आज इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अब देश का हर नागरिक कहीं भी, कभी भी अपनी आवश्यक सेवाओं तक आसानी से पहुंच सकेगा, बिना किसी भटकाव या अतिरिक्त प्रक्रियाओं के अपने हाथ में थामें मोबाइल फोन के सहारे। यह न केवल सुविधा का प्रश्न है बल्कि सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक ठोस कदम भी है। इस पहल से नागरिकों का जीवन सरल होगा, उन्हें अपने दस्तावेजों और योजनाओं से जुड़ी जानकारी के लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

देखा जाए तो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना और शासन को पारदर्शी बनाना है। यह पहल उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री मोदी का विजन हमेशा से यही रहा है कि तकनीक का उपयोग केवल सुविधाजनक साधन के रूप में न होकर, यह नागरिकों के अधिकारों और सुविधाओं का सशक्तिकरण भी करे। ई-गवर्नेंस सेवाओं का यह राष्ट्रीय स्तर पर एकीकरण बताता है कि केंद्र सरकार किस तरह से प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए नागरिकों को सीधे और सरल रूप से शासन से जोड़ने का प्रयास कर रही है।

सेवाओं का राष्ट्रीय स्तर पर एकीकरण

वस्‍तुत: इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के अंतर्गत आने वाले एनईजीडी ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नागरिक अब एक ही प्लेटफॉर्म से तमाम सेवाओं का लाभ ले सकें। इसमें प्रमाण-पत्रों का निर्गमन, कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी और उनका लाभ, सुविधा केंद्रों के माध्यम से भुगतान और अन्य प्रशासनिक सेवाएं शामिल हैं। इससे शासन व्यवस्था में न केवल तेजी आएगी बल्कि दक्षता और पारदर्शिता भी बढ़ेगी। डिजिटल इंडिया का यह कदम सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। कागज रहित और गतिशील प्रशासन की दिशा में यह प्रयोग भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए और भी प्रासंगिक हो गया है।

इस एकीकरण ने राज्यों के बीच डिजिटल सेवाओं की संख्या को लेकर एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण भी तैयार किया है। महाराष्ट्र इस मामले में सबसे आगे है, जहां नागरिकों के लिए 254 सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके बाद दिल्ली 123 सेवाओं के साथ दूसरे स्थान पर है, कर्नाटक 113 सेवाओं के साथ तीसरे पर, असम 102 सेवाओं के साथ चौथे पर और उत्तर प्रदेश 86 सेवाओं के साथ पांचवें स्थान पर है।

केरल और जम्मू-कश्मीर प्रत्येक 77 सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, आंध्र प्रदेश में 76, गुजरात में 64, तमिलनाडु और गोवा में 63-63 सेवाएं, हरियाणा में 60 और हिमाचल प्रदेश में 58 सेवाएं उपलब्ध हैं। कुल मिलाकर इस समय 1,938 सेवाएं देशभर के नागरिकों के लिए उपलब्ध हो चुकी हैं। यह संख्या आने वाले समय में और बढ़ेगी, क्योंकि एनईजीडी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों को अपनाकर इस पोर्टफोलियो का विस्तार करने की योजना बना रहा है।

डिजिलॉकर: नागरिकों की डिजिटल तिजोरी

डिजिलॉकर, जिसे डिजिलॉकर डॉट जीओवी डॉट इन (Digilocker.gov.in) के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। इस पूरी व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह प्लेटफॉर्म न केवल डिजिटल दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि अंतर-संचालनीयता और डेटा गोपनीयता की चुनौतियों का समाधान भी करता है। नागरिक अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, शैक्षणिक प्रमाणपत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज सुरक्षित रूप से डिजिलॉकर में रख सकते हैं।

अब यदि किसी को राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी या प्रमाण-पत्र चाहिए, तो वे सीधे इस वेबसाइट पर जाकर अपनी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच सकते हैं। इससे नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी और सेवा वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उपलब्धि नागरिकों के जीवन में प्रत्यक्ष परिवर्तन लाने वाली है। अब किसी छात्र को कॉलेज में दाखिले के लिए प्रमाणपत्र की आवश्यकता हो या किसान को किसी कल्याणकारी योजना का लाभ लेना हो, या किसी कर्मचारी को वेतन पर्ची की जरूरत हो, सब कुछ एक क्लिक में उपलब्ध होगा। डिजिलॉकर डॉट जीओवी डॉट इन के जरिए यह सुनिश्चित हो गया है कि सरकारी सेवाएं नागरिकों की मुट्ठी में हैं।

फिलहाल जो जानकारी इस संबंध में सामने आ रही है, वह यही बताती है कि एनईजीडी अब इस सफलता के आधार पर और आगे बढ़ने की योजना बना रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधानों को अपनाकर सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। राज्य स्तर पर संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं के माध्यम से नागरिकों को और अधिक जागरूक किया जाएगा, ताकि हर नागरिक इन सेवाओं का अधिकतम लाभ उठा सके। साथ ही, नई प्रौद्योगिकियों को अपनाकर सेवाओं को और तेज, सुरक्षित तथा समावेशी बनाया जाएगा।

वास्‍तव में आज इस बड़ी उपलब्‍धि‍ पर यही कहना होगा कि डिजिलॉकर और ई-डिस्ट्रिक्ट प्लेटफॉर्म का एकीकरण यह साबित करता है कि केंद्र सरकार का डिजिटल इंडिया अभियान केवल नारे तक सीमित नहीं है, बल्कि वह वास्तव में आम नागरिक के जीवन को बदलने का काम कर रहा है। अब आवश्यकता है कि इस सफलता का व्यापक प्रचार-प्रसार हो, ताकि हर नागरिक डिजिलॉकर जैसी सुविधाओं का पूरा लाभ उठा सके।