पूर्व श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया के खिलाफ भ्रष्टाचार का अपराध साबित नहीं, एसीबी कोर्ट ने केस की कार्रवाई खत्म की

एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि तथ्यों व साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि तत्कालीन श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया व तत्कालीन श्रम निरीक्षक रमेश चन्द मीना के खिलाफ अभियोजन चलाए जाने के संबंध में साक्ष्य नहीं मिले हैं। वहीं मामले में प्रतीक झाझड़िया की मिलीभगत व संदिग्धता नहीं पाई गई है। ऐसे में दोनों के पक्ष में कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट देना उचित होगा। कोर्ट ने कहा कि अनुसंधान करने का कार्य एसीबी का है। अनुसंधान अधिकारी किस तरह से अनुसंधान करेंगे, इस संदर्भ में कोर्ट आदेश के लिए अधिकृत नहीं है। अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि एसीबी ने साल 2021 में श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया पर रवि मीणा व अमित शर्मा के जरिये तीन लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने पहली क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार कर प्रतीक झाझडिया व रमेश चन्द के संदर्भ में अग्रिम अनुसंधान के लिए कहा और रवि मीणा एवं अमित शर्मा के खिलाफ प्रसंज्ञान ले लिया। इसे रवि ने हाईकोर्ट व बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि विशेष कोर्ट प्रसंज्ञान के स्तर पर आरोप की धाराओं में बदलाव नहीं कर सकता। वहीं मामले को पुन: एसीबी कोर्ट को रिमांड कर दिया। विशेष कोर्ट ने माना कि मौजूदा केस में अग्रिम अनुसंधान के बाद भी एसीबी ने प्रतीक झाझड़िया पर कोई अपराध प्रमाणित नहीं माना और ना ही राज्य सरकार ने ही लोक सेवक के संबंध में अभियोजन की मंजूरी दी है। अभियोजन मंजूरी के बिना कोर्ट कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। ऐसे में जब मुख्य अभियुक्त प्रतीक झाझड़िया पर कार्यवाही करने का कोई अधिकार नहीं है तो ऐसी स्थिति में सह अभियुक्त रवि मीणा के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।