बीकानेर में रावण दहन के साथ ही आतिशबाजी शुरू हुई। करीब 45 मिनट तक आतिशबाजी हुई। रावण के अलावा मेघनाद और कुंभकर्ण को जलाने पर भी आतिशबाजी हुई। इस दौरान स्टेडियम में चारों तरफ से आकाश में रोशनी दिखाई दी। आतिशबाजी में विभिन्न तरह के साउंड सुनाई दिए, जो आकर्षण का केंद्र रहे। पुतलों के दहन से पहले इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी की गयी। इससे पहले पंजाब से बुलाए गए ढोल ग्रुप की प्रस्तुति हुई।
बीकानेर के पोलिटेक्निक कॉलेज मैदान में भी रावण दहन हुआ। भीनासर में स्थित मुरली मनोहर धोरा पर हर साल रावण का दहन किया जाता है। इस बार भी यहां शाम करीब साढ़े छह बजे दहन हुआ। इस दौरान पारम्परिक रूप से आतिशबाजी होगी। यहां गंगाशहर, सुजानदेसर सहित अनेक क्षेत्रों से लोग रावण दहन देखने पहुंचते हैं।
बीकानेर के धरणीधर मैदान में पिछले कुछ सालों से रावण दहन हो रहा है। यहां भी विशेष प्रबंध किए गए। रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाद के पुतले खड़े किए गए। पूर्व सरपंच रामकिशन आचार्य के निर्देशन में यहां करीब दस बारह साल से रावण दहन की परम्परा निभाई जा रही है।