बघाट अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर आरबीआई की कैपिंग से शेयर धारक चिंतित, सरकार से हस्तक्षेप की मांग

सोफत ने आरबीआई के इस निर्णय के लिए बैंक प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इसे कु-प्रबंधन का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 से ही बैंक की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती चली गई, और बैंक पर ऋण वितरण पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि दो वर्ष पूर्व बैंक शेयर धारक फोरम का गठन किया गया था, जिसने समय रहते बैंक प्रबंधन को चेताया भी था। हाल ही में सोलन आए आरबीआई गवर्नर से फोरम के सदस्यों ने मुलाकात कर बैंक की स्थिति से अवगत भी करवाया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक द्वारा दिए गए कई लोन संदिग्ध हैं और गिरवी रखी गई संपत्तियों का मूल्य बाज़ार मूल्य से भी कम आँका गया है, जिससे लोन और बैंक के बीच मिलीभगत की आशंका को बल मिलता है। परिणामस्वरूप, बैंक लोन की वसूली में अक्षम साबित हो रहा है।

सोफत ने बताया कि बैंक के पास लगभग 11 हजार शेयर धारक और 80 हजार खाता धारक हैं। उन्होंने दावा किया कि लगभग 22 करोड़ रुपये शेयर धारकों का और 470 करोड़ रुपये खाता धारकों का पैसा फंसा हुआ है। उन्होंने कहा कि बैंक इस समय वेंटीलेटर पर है और इसके पास अभी भी 138 करोड़ रुपये की वसूली बाकी है। उन्होंने बताया कि बैंक की वर्तमान रिकवरी दर मात्र 13 प्रतिशत है, जबकि सामान्य स्थिति में इसे 6 प्रतिशत तक लाना जरूरी है, तभी आरबीआई की कैपिंग हटाई जा सकती है।

उन्होंने चेताया कि यदि जल्द स्थिति नहीं सुधरी, तो बैंक की सभी शाखाओं को मिलाकर करीब 500 करोड़ रुपये डूबने की आशंका है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि वह बैंक में एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति करे ताकि वसूली प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और भाई-भतीजावाद न हो। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि जानबूझकर लोन न चुकाने वाले विलफुल डिफॉल्टर्स को नोटिस भेजा जाए और पैसा न चुकाने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर जेल भेजा जाए।