जमानत याचिका में कहा गया कि उसे प्रकरण में झूठा फंसाया गया है। प्रकरण में आरोप पत्र पेश हो चुका है। प्रकरण में वह लंबे समय से जेल में बंद है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सीबीआई की ओर से अधिवक्ता जगमोहन सक्सेना ने बताया कि आरोपित ने जांच में सहयोग नहीं किया था और बार-बार समन दिए जाने के बाद भी पेश नहीं हुआ था। उसने गबन राशि को अपने परिजनों के बैंक खातों में ट्रांसफर की और बाद में उसका उपयोग स्वयं के लिए। ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जाए। सीबीआई की ओर से कहा गया कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रस्ट में श्रद्धालुओं की ओर से चढाए जाने वाले सिक्कों को स्थानीय एसबीआई बैंक में जमा कराया जाता था। बैंक प्रबंधन ने इन सिक्कों की गिनती के लिए एक निजी फर्म को ठेका दिया था। बैंक रिकॉर्ड के अनुसार शाखा में 13.62 लाख रुपये के सिक्के दर्ज थे, लेकिन गिनती में सिर्फ 1.39 लाख रुपये के सिक्के ही पाए गए। सीबीआई ने मामले में राजेश मीणा को गत 9 अप्रैल को गिरफ्तार किया था।