पाठ्य पुस्तकों के
माध्यम से भारतीय संस्कृति पर हुए कुठाराघात को दुरुस्त करने की जरूरत : अश्वनी
उपाध्याय
लखनऊ, 17 नवंबर (हि.स.)।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि भारतीय संस्कृति को
हमारी पुस्तकों, फिल्मों और विचारों के माध्यम से चोट पहुंचाया गया। बल्कि यूं
कहें कि समाप्त करने की पूरी साजिश की गयी। इसे अगर ठीक करना है तो सबसे पहले हमें
स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों की ओर ध्यान देना होगा।
अश्वनि उपाध्याय ने रविवार
को यहां एक मुलाकात के दौरान हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि साहित्य को पढ़कर हम और
हमारी आगे आने वाली पीढ़ियां सजग होंगी। साहित्य में भी खास कर पाठ्यक्रमों में इसे
शामिल किया जाना चाहिए। गलत चीजों को हटाया जाना चाहिए। इससे हम अपने इतिहास को
ठीक से जान सकेंगे। भगवान कृष्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हमारे पूर्वज हैं।
यह हमारा इतहास हैं लेकिन किताबों में काल्पनिक पढ़ाया जा रहा है। यह दुर्भाग्य
है। इसे ठीक करने के लिए जितना समाज को चिंतित होने की जरूरत है, उतनी ही चिंता
सरकार को भी करनी होगी। सीबीएसई बोर्ड की तीसरी कक्षा की पुस्तक में आज भी रामायण
को काल्पनिक पढ़ाया जा रहा है। अगर हमारी रामायण को काल्पनिक पढ़ाया जाएगा तो राम
भी काल्पनिक हुए। ऐसा क्यों पढ़ाया जा रहा है ? यह बड़ा सवाल है। हमें इसे दुरुस्त
करना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता
अश्वनी उपाध्याय ने दूसरा मुद्दा अपराध का उठाया। उन्होंने कहा कि अपराध को कम
करने के लिए कानून में बदलाव करना होगा। अमरीका में चोरी पर पांच साल की सजा है। दोबारा
से चोरी की तो दोषी को 10 साल की सजा सुनाई जाएगी। वहीं झूठ बोलने पर 20 वर्ष की
सजा है। उपाध्याय ने कहा कि हमारे यहां अभी तक हेट स्पीच डिफाइन नहीं है। ऐसा नहीं
होने की वजह से समाज में जहर घोलने वाले कई लोग कोर्ट से छूट जा रहे हैं। हेट
स्पीच डिफाइन हो जाने से वे दंडित हो सकेंगे।
उपाध्याय ने कहा कि धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय समस्या है। धर्मांतरण से
राष्ट्रांतरण होता है। धर्मांतरण एक अप्रत्यक्ष युद्ध है। धर्मांतरण सबसे बड़ा
द्रोह है। धर्मांतरण एक संगठित अपराध है। यह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा है।
देश की एकता-अखण्डता के लिए खतरा है। देश को महाशक्ति के रूप में स्थापित
करने के लिए हमे कठोर कानून से होकर गुजरना होगा। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता मनीष शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी, ज्ञानेन्द्र शुक्ल, अशाेक पांडेय, विनाेद अग्रवाल, मिथिलेश मिश्रा, शक्ति श्रीवास्तव, आशीष जयसवाल, बृजकिशाेर समेत अन्य लाेग माैजूद रहे।
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