आराधना महोत्सव – सनातन शब्द का अर्थ ‘अनादि’ और ‘अनन्त’ : रामानंददास

प्रयागराज, 21 दिसम्बर (हि.स.)। अलोपीबाग स्थित भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद सरस्वती सभागार में आयोजित नौ-दिवसीय आराधना महोत्सव में कथा व्यास जगद्गुरू रामानंदाचार्य रामानंददास, श्रीरामकुंज अयोध्या ने अपने कथा में ‘सनातन’ के नाम, अर्थ और अस्तित्व के सम्बन्ध में विस्तार से व्याख्या करते हुये बताया कि ‘सनातन’ शब्द का अर्थ वास्तव में ‘अनादि’ और ‘अनन्त’ है।

उन्होंने कहा कि जैसे भगवान अनादि और नित्य है वैसे ही सनातन धर्म अनादि और नित्य है। संसार के जितने भी धर्म हैं सनातन धर्म के पश्चात् मानव निर्मित है। सनातन धर्म का कभी अन्त और नाश नहीं होता। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण सहस्त्र नाम में कृष्ण का नाम ही ‘सनातन’ है। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तुनिरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभागभवेत्’ ही सनातन धर्म का डिमडिम घोष है। इसलिए सभी प्राणी सनातनी हैं। सनातन धर्म ही सबका मूल है। सनातन धर्म में युग के अनुसार परिभाषाएं बदलती रहती हैं।

व्यास ने बताया कि जहां सतयुग में ‘सत्यम् वद्’ अर्थात् सत्य बोलो वेदाज्ञा थी, वहीं त्रेता युग में ‘सत्यम् ब्रूयात्’ अर्थात् सत्य बोलना चाहिए, मा ब्रूयात् सत्यं अप्रियम्। द्वापर युग में सत्य की परिभाषा ही बदल गयी। भगवान वेदव्यास ने कहा है कि गऊ व ब्राह्मण की हिंसा में अनित झूठ बोलकर उनकी रक्षा करनी चाहिए। कलियुग में तो सत्य और असत्य की सम्पूर्ण परिभाषाओं को ही बदल दिया गया है और कहने लगे कि एक असत्य को 10 बार बोल देने से वही असत्य सत्य हो जाता है। उन्होंने कहा अपने स्वरूप में सनातन धर्म राजनैतिक झंझावातों के प्रभाव से प्रभावित होने पर भी सुरक्षित रहा।

इसके पूर्व जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद सरस्वती एवं शंकराचार्य विष्णुदेवानंद सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं आरती किया। शंकराचार्य ने घोषित किया कि 22 दिसम्बर को श्रीमद्ज्योतिष्पीठोद्धारक जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती की जयंती एवं श्री राधा माधव पाटोत्सव पूजन कार्यक्रम 11 बजे से भगवान शंकराचार्य मंदिर में होगा। 26 दिसम्बर तक आराधना महोत्सव कार्यक्रम में प्रतिदिन निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रातः 7 से 9 बजे तक प्यारे मोहन द्वारा श्री रामायण नवान्ह पारायण, 2 बजे से सायं 5 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा, इसके बाद पूज्य शंकराचार्य जी का प्रवचन-आशीर्वाद कार्यक्रम होता है। सायं 7 से 9 बजे तक रूद्राभिषेक एवं 8 से 11 बजे तक प्यारे मोहन की मण्डली द्वारा मनभावनी रासलीला का आयोजन होगा।